भारत-दर्शन::इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
रंग भरी राग भरी रागसूं भरी री।होली खेल्यां स्याम संग रंग सूं भरी, री।।उडत गुलाल लाल बादला रो रंग लाल।पिचकाँ उडावां रंग रंग री झरी, री।।चोवा चन्दण अरगजा म्हा, केसर णो गागर भरी री।मीरां दासी गिरधर नागर, चेरी चरण धरी री।।
-मीराबाई
amp-form
इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें