शब्द हैं हम केवल शब्द कृपया अर्थ दीजिये हमें।
बहुत घूम लिए गलियों, चौराहों में नारों में, इश्तेहारों में एजेंडों में, स्लोगनों में बहुत बह लिए कर्महीनों की आशाओं में राजनेताओं के आश्वासनों में।
इधर-उधर उड़ते- तिरते महज शब्द हैं हम कृपया अर्थ दीजिये हमें।
बहुत फिर लिए मारे-मारे चमकीले विज्ञापनों में भड़कीले इज़हारों में सभाओं में, जुलूसों में क्या हैं हम? केवल शब्द? कृपया अर्थ दीजिये हमें।
नहीं चाहते हम थोथे भूसे से उड़ते फिरना नहीं चाहते हम ठेले की चाट-पकौडी सा इस्तेमाल होना नहीं चाहते हम ऐसे समाचार बनना जिसे उंघते श्रोता सुनते ही भूल जाएँ या फिर ऐसे कि जो नीदें ही उड़ा दें नहीं चाहते हम रानजीतिक सभाओं में उछले ऐसे विचार बनना जिनसे कोई परिवर्तन नहीं आता क्योंकि वक्ता भी मौसमी हैं जो अचानक ही पा गए हैं समाज सुधार का ठेका अगुआई की पगड़
केवल शब्द हैं हम अर्थ के याचक हैं प्राणवंत होना चाहते हैं।
चाहते है हम की कोई कान्हा अपनी मुरली से फूंक दे और अमृत कर दे हमें चाहते हैं हम कि कोई रैदास छू ले और हम कठौती में गंगा हो जाएँ
छू ले कोई मीरा और भक्ति का प्रतीक कर दे हमें चाहते हैं हम कि फूल से झरें किसी कबीर, किसी तुलसी किसी पीर किसी नानक के मुंह से और हो जाएँ अमर चाहते हैं हम कि ऐसे होंठों से झरें कि झरें और सूक्ति हो जाएँ
हम मानवता के अमर उदघोष होना चाहते हैं हम आशाओं के प्रवाल प्रवक्ता होना चाहते हैं
हाँ, अर्थ के याचक शब्द हैं हम केवल शब्द पर ध्यान रहे व्यर्थ का खिलवाड़ ना करें
इतिहास गढ़ते हैं हम आपको मुकुट भी पहना सकते हैं आपको दफना भी सकते हैं असीम शक्ति के मालिक हम आपके द्वार याचक हैं अर्थ के कृपया अर्थ दीजिये हमें सही अर्थ।
-प्रीता व्यास न्यूज़ीलैंड |