प्रातःकाल अमीर बाप ने आलसी और आरामतलब बेटे को अपने पास बुलाया और कहा-– “जाकर कुछ कमा ला, नहीं रात को भोजन न मिलेगा।"
लड़का बेपरवाह, दुर्बल और निर्लज्ज था। परिश्रम करने का उसे अभ्यास न था। सीधा अपनी माँ के पास गया और रोने लगा। माता ने बेटे की आँखों में आँसू और उसके मुख पर चिन्ता और शोक की मलीनता देखी, तो उसकी ममता बेचैन हो गई। उसने अपना सन्दूक खोला और एक पौंड निकालकर बेटे को दे दिया।
रात को बाप ने बेटे से पूछा-- "आज तुमने क्या कमाया?" लड़के ने जेब से पौंड निकालकर बाप के सामने रख दिया।
बाप ने कहा--"इसे कुँए में फैंक आ।"
लड़के ने तत्परता के साथ पिता की आज्ञा का पालन किया। अनुभवी पिता सब कुछ समझ गया। दूसरे दिन उसने स्त्री को मैके भेज दिया।
तीसरे दिन उसने फिर लड़के को बुलाया और कहा-- "जा कुछ कमा ला, नहीं रात को भोजन नहीं मिलेगा।" लड़का अपनी बहन के पास जाकर रोने लगा। बहन ने अपना सिंगारदान खोला, उसमें से एक रुपया निकाला और भाई को दे दिया।
रात को बाप ने बेटे से पूछा--"आज तुमने क्या कमाया?"
लड़के ने जेब से रुपया निकाल कर बाप के सामने रख दिया।
बाप ने कहा-– “इसे कुँए में फैंक आ।" लड़के ने तत्परता के साथ आज्ञा का पालन किया। अनुभवी पिता सब कुछ समझ गया। दूसरे दिन उसने बेटी कोसुसराल भेज दिया।
इसके बाद उसने एक दिन फिर बेटे को बुलाकर कहा-- "जाकर कुछ कमा ला, नहीं रात को भोजन न मिलेगा।”
लड़का सारा दिन उदास रहा और उसकी आँखों से आँसू बहते रहे, परन्तु आँसुओं को देखने वाली प्यार की आँखें घर में न थीं। विवश होकर संध्या समय वह उठा और बाजार में जाकर मजदूरी खोजने लगा।
एक सेठ ने कहा-- "मेरा सन्दूक उठाकर घर ले चल। मैं तुझे दो आने दूँगा।"
अमीर बाप के अमीर बेटे ने सन्दूक उठाया और उसे सेठ के घर पर पहुँचाया, लेकिन उसकी सारी देह पसीने में तर थी। पाँव काँपते थे और गर्दन और पीठ में दर्द होता था।
रात को बाप ने बेटे से पूछा--"आज तुमने क्या कमाया?" लड़के ने जेब से दुवन्नी निकाल कर बाप के सामने रख दी।
बाप ने कहा-- 'इसे कुए में फैंक आ।"
लड़के की आँखों से क्रोध की ज्वाला निकलने लगी। बोला--"मेरी गरदन टूट गई है और आप कहते हैं कुँए में फैंक आ।"
अनुभवी बाप सब कुछ समझ गया। दूसरे दिन उसने अपना कारोबार बेटे के सुपुर्द कर दिया।
-सुदर्शन |