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प्रभो, न मुझे बनाओ हिमगिरि, जिससे सिर पर इठलाऊँ। प्रभो, न मुझे बनाओ गंगा, जिससे उर पर लहराऊँ।
प्रभो, न मुझे बनाओ उपवन, जिससे तन की छबि होऊँ। प्रभो, बना दो मुझे सिंधु, जिससे भारत के पद धोऊँ॥
-सोहनलाल द्विवेदी
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