भारत-दर्शन::इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
झुकी न अलकेंझपी न पलकेंसुधियों की बारात खो गईदर्द पुरानामीत न जानाबातों ही में प्रातः हो गईघुमड़ी बदलीबूँद न निकलीबिछुड़न ऐसी व्यथा बो गईरोते-रोते रात सो गई
-अटल बिहारी वाजपेयी
amp-form
इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें