मैंने पूछा जुगनू से, टिम्मक टिम-टिम जुगनू से- जुगनू भैया, जुगनू भैया, ले लो हमसे एक रुपैया। पहले यह बतलाओ भाई, तुमने टार्च कहाँ से पाई? जिसको जला-बुझा करके तुम, खेल खेलते रहते हरदम!
बोला जुगनू टिम-टिम टू, लेकर बाजा पम-पम पू सुनो कहानी बड़ी पुरानी, मैंने जब उड़ने की ठानी उड़कर पहुँचा टिंबक टू, टिंबक टू भई, टिंबक टू। मिली वहाँ एक टॉर्च पुरानी, टॉर्च मगर थी इंग्लिस्तानी। मैंने उसको खूब जलाया, खूब जलाकर खूब बुझाया।
उसी टॉर्च का है यह जादू, तुम्हें जला करके दिखला दूँ? कहकर हँसता जुगनू भैया, टिम-टिम टिम्मक जुगनू भैया।
- डा. प्रकाश मनु [साभार - श्रेष्ठ बालगीत, गीतांजलि प्रकाशन] |