हिंदी समस्त आर्यावर्त की भाषा है। - शारदाचरण मित्र।
 
चलो मन गंगा-जमना-तीर (काव्य)     
Author:मीराबाई | Meerabai

गंगा-जमना निरमळ पाणी सीतल होत सरीर ।
बंसी बजावत गावत कान्हो संग लियाँ बळ बीर ।।

मोर मुगट पीतांबर सोहै कुण्डळ झळकत हीर ।
मीराके प्रभु गिरधर नागर चरणकॅवलपर सीर ।।

-मीरा

 

 

Previous Page  | Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश