जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है। - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।

राजदुलारे सो जा | लोरी  (बाल-साहित्य )

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Author: पं० सोहनलाल साहिर

सो जा मेरे प्यारे सो जा,
मेरे राजदुलारे सो जा!

नींद की परियाँ आओ आओ; मीठी मीठी लोरियाँ गाओ।
मेरी जान है, नन्हाँ प्यारा ; मेरा मान है नन्हाँ प्यारा।
ज्यों-ज्यों तू परवान चढ़ेगा; जग में तेरा नाम बढ़ेगा।
सो जा मेरे प्यारे सो जा,
मेरे राजदुलारे सो जा!

हिम्मत, अजमत चाकर तेरी; हशमत, शौकत चाकर तेरी।
तख़्त भी तेरा, ताज भी तेरा; बख़्त भी तेरा, बाज़ भी तेरा;
कैसे-कैसे काम करेगा, पैदा जग में नाम करेगा।
सो जा मेरे प्यारे सो जा,
मेरे राजदुलारे सो जा!

धूम से तेरा ब्याह रचाऊँ; गोरी चिट्टी बेगम लाऊँ।
धन औ दौलत तुझ पर वारूँ; राज को तेरे, सदके वारूँ।
गोद खिलाऊँ तेरे बच्चे, सो जा, सो जा मेरे बच्चे।
सो जा मेरे प्यारे सो जा,
मेरे राजदुलारे सो जा!

-पं० सोहनलाल 'साहिर' बी. ए

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