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उन्हें आज ... (काव्य) |
Author: बेढब बनारसी
उन्हें आज आई है कैसी जवानी,
सभी कह रहे हैं उन्हीं की कहानी ।
लचकदार कानून उनके नहीं है,
बनी है यह जेबी घड़ीकी कमानी ।
नहीं दूध पीने को मिलता अगर हो,
तो कल का तो मिलता है पीने को पानी ।
सभी कुछ निछावर किया उनपे मैंने,
उन्होंने जो तारीफ मेरी बखानी ।
हुए छेद हैं फेफड़े में हजारों,
यही है मुहब्बत की ‘बेढब' निशानी।
- ‘बेढब' बनारसी