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प्रयोगवाद (काव्य) |
Author: दिनेश कुमार गोयल
आलू!
उस पर एक और आलू,
फिर एक और आलू,
उस पर एक और आलू,
आलू, ऊपर आलू, उस पर आलू,
बोलो कृपालू
काव्य नहीं समझे
तो थैले से बैंगन भी निकालूं ?
- दिनेश कुमार गोयल
[गुदगुदी]