तलवार के बल से न कोई भाषा चलाई जा सकती है न मिटाई। - शिवपूजन सहाय।
 

मेंढकी का ज़ुकाम (बाल-साहित्य )

Author: आई बी अरोड़ा

मेंढकी को जब लगा ज़ुकाम
खूब घबराया मेंढक राम
भागा भगा मेंढक आया
आकर मेंढकी का सिर सहलाया
मेंढकी ग़ुस्से से चिल्लाई
‘सिर तुम मेरा छोड़ो भाई
दौड़े दौड़े जल्दी जाओ
कोई वैध हकीम लेकर आओ'
मेंढक झटपट दौड़ा भागा
देखा न कोई पीछा आगा
इसको पूछा उसको पूछा
फिर लाया वैध इक ऐसा
जिसकी पूँछ थी लम्बी छोटे कान
वैध देख मेंढकी चिल्लाई
वैध की सूरत उसे न भायी
मेंढकी ने किया होहल्ला
वैध भागा उठा पूछ्छ्ला

©आई बी अरोड़ा
  ई-मेल: indubarora@gmail.com

 

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