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हिन्दी गान (विविध) |
Author: महेश श्रीवास्तव
भाषा संस्कृति प्राण देश के
इनके रहते राष्ट्र रहेगा।
हिन्दी का जय घोष गुँजाकर
भारत माँ का मान बढ़ेगा।।
हिन्दी का अमृत ओंठों पर, वाणी में हो उसका वंदन।
मन में, लेखन में हिन्दी हो, प्रेम भाव हो और समर्पण।।
भारत में जन्मी हर भाषा, जननी का अंतर्मन पहने।
हिन्दी की बहनें प्यारी सब, भारत माता के गहने।।
हिन्दी भाषा के गौरव से, युवा सभी ऊर्जामय होंगे।
देवनागरी होगी व्यापक, कम्प्यूटर हिन्दीमय होंगे।।
शुरू स्वयं से करें त्याग दें, हीन ग्रन्थि से भरा मन।
भर दें हिन्दी भाव भक्ति से, पूरे भारत का जन गण मन।।
भारत संस्कृति प्राण देश के......
7 सितंबर को भोपाल में विश्व हिन्दी सम्मेलन के लिए हिन्दी भाषा गान का विमोचन सम्मेलन स्थल पर किया गया। इस गान के रचियता पत्रकार और साहित्यकार श्री महेश श्रीवास्तव और संगीतकार श्री उमेश हैं। गान की सीडी का विमोचन प्रख्यात साहित्यकार डॉ. देवेन्द्र दीपक ने किया।
इस अवसर पर विदेश राज्यमंत्री श्री वी.के. सिंह, सांसद श्री अनिल माधव दवे, सांसद श्री आलोक संजर, महापौर श्री आलोक शर्मा, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति श्री बृजकिशोर कुठियाला, कुशाभाऊ ठाकरे राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, रायपुर के पूर्व कुलपति श्री सच्चिदानंद जोशी, लेखक रजनी चतुर्वेदी, डॉ. पवन शर्मा, विजेश लुनावत समेत कई साहित्यकार, पत्रकार और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
श्री महेश श्रीवास्तव ने कहा, "हिन्दी हमारी माँ है और माँ के चरणों में भावों के पुष्प चढ़ाने पर हम धन्य हो जाते हैं। यह अवसर है कि हम हिन्दी की सेवा के लिए अपने कर्म और भावों को अर्पित करें।"
डॉ. देवेन्द्र दीपक ने कहा कि आज विमोचित हिन्दी गान एक प्रयाण गीत है जो हम हिन्दी सैनिकों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इस अवसर पर लगभग 4 मिनिट के हिन्दी भाषा गान की संगीतमय प्रस्तुति भी की गई।