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नादानी (काव्य) |
Author: डॉ. ऋषिपाल भारद्धाज
आज करेंगे हम नादानी
मौसम भी है पानी पानी
चली हवा मादक अलबेली
कलियों से करती अठखेली
चन्दन का वन महक उठा है
गमक उठी है रात सुहानी
आज करेंगे …
चंचल है नदिया की धारा
टूट चुका है आज किनारा
खुला निमंत्रण देती हमको
लहरों की अलमस्त रवानी
आज करेंगे हम नादानी
आज करेंगे हम नादानी
- डॉ. ऋषिपाल भारद्धाज
ई-मेल: rishipal1631972@gmail.com