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तुम्हारे स्नेह की छाया (काव्य) |
Author: अमिता शर्मा
तुम्हारे स्नेह की छाया ने मेरा दर्द सहलाया,
बुझा मन खिल उठा मेरा, ये कैसा नेह बरसाया!
तुम्हारा ख्याल जव आया, मेरा हर अश्क मुसकाया,
सुना जब भी के तन्हा हूँ जहाँ देखा तुझे पाया!
तुम्हारी याद की खुशबू ने हर इक जख्म महकाया,
हुए जब अश्क आवारा, तेरा दामन नजर आया!
सुना हमने के दुनिया से वफ़ा अब हो गई रुखसत,
तसव्वुर में मेरे लेकिन तेरा चेहरा उभर आया!
- अमिता शर्मा