जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
 

मेज़बान | लघु-कथा (कथा-कहानी)

Author: खलील जिब्रान

"कभी हमारे घर को भी पवित्र करो।" करूणा से भीगे स्वर में भेड़िये ने भोली-भाली भेड़ से कहा।

"मैं ज़रूर आती बशर्ते तुम्हारे घर का मतलब तुम्हारा पेट न होता।" भेड़ ने नम्रता पूर्वक जवाब दिया।

- खलील जिब्रान

 

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