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ज्ञान पहेलियां (बाल-साहित्य ) |
Author: मुकेश नादान 'निरूपमा'
1
रात को नभ मे चमका करता जैसे चाँदी की इक थाली
चोर उच्चके लूट न पावें लौटे हरदम खाली
2
तीन अक्षर का नाम सुहाना काम सदा खिलकर मुस्काना
बीच कटे तो कल कहलाऊँ अत कटे तो कम हो जाऊँ
3
जो जाकर न वापस आये जाता भी वह नज़र न आये
सारे जग में उसकी चर्चा वह तो अति बलवान कहाये
4
राजा के राज्य मे नहीं माली के बाग मे नहीं
फोड़ो तो गुठली भी नहीं खाओ तो स्वाद नहीं
5
धूप लगे पैदा हो जाये छाह लगे मर जाये
करे परिश्रम तो भी उपजे हवा लगे मर जाये
6
एक बाग मे फूल अनेक उन फूलों का राजा एक
बगिया में जब राजा आये बगिया मे चाँदनी छा जाए
7
काली-काली साड़ी पहने मुखड़ा जिसका गोरा
लड़की नहीं न ही गोरी रोज लगाती हूँ मैं फेरा
8
जाड़ो मे जब गिरता हूँ मैं छा जाता है घोर अँधेरा
प्रथम हटे तो हरा कहाऊँ बीच हटे तो समझो कोरा
9
ओर छोर न मेरा कोई प्रथम हटे तो समझो काश
अंत कटे मालिक बन जाऊँ मध्य कटे तो आश
10
सूखी सड़ी पड़ी लकड़ी मे वर्षा जल में जो उग आये
उसको क्या कहते हैं भाई जो अपने सिर छत्र लगाये
11
काला कलूटा मेरा रूप अच्छी लगती कभी न धूप
दिन ढलने पर मैं आ जाता सारे जग पर मैं छा जाता
12
तीन अक्षर का मेरा नाम पानी देना मेरा काम
प्रथम कटे तो दल बन जाऊँ मध्य कटे तो बाल कहाऊँ
उत्तर:
1) चाँद
2) कमल
3) समय
4) ओला
5) पसीना
6) चन्द्रमा
7) रात व चन्द्रमा
8) कोहरा
9) आकाश
10) कुकुरमुत्ता
11) अन्धकार
12) बादल