जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
 

फूलों जैसे उठो खाट से | बाल गीत (बाल-साहित्य )

Author: क्षेत्रपाल शर्मा

फूलों जैसे उठो खाट से
बछड़ों जैसी भरो कुलांचे
अलसाये मत रहो कभी भी
थिरको एसे जग भी नांचे
नेक भावना रखो हमेशा
जियो कि जैसे चन्दा तारे
एसे रहो कि तुम सब के हो
और सभी है सगे तुम्हारे
फूलो फलो गाछ हो जैसे
बोलो बहता नीर
कांटे बनकर मत जीना तुम
हरो परायी पीर
कहना जो है सो तुम कहना
संकट से भी मत घबराना

उजियारे के लिये सलोने
झान -ज्योति का दीप जलाना
मत पडना तुम हेर फेर में
जीना जीवन सादा प्यारा
दीप सत्य है एक शस्त्र है
होगा तब हीरक उजियारा

-क्षेत्रपाल शर्मा

E-mail: kpsharma05@gmail.com

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