भाषा का निर्माण सेक्रेटरियट में नहीं होता, भाषा गढ़ी जाती है जनता की जिह्वा पर। - रामवृक्ष बेनीपुरी।
 

मोहन राणा - ब्रिटेन के हिंदी कवि (काव्य)

Author: भारत-दर्शन संकलन

कवि-आलोचक नंदकिशोर आचार्य के अनुसार - हिंदी कविता की नई पीढ़ी में मोहन राणा की कविता अपने उल्लेखनीय वैशिष्टय के कारण अलग से पहचानी जाती रही है, क्योंकि उसे किसी खाते में खतियाना संभव नहीं लगता। यह कविता यदि किसी विचारात्मक खाँचे में नहीं अँटती तो इसका यह अर्थ नहीं लिया जाना चाहिए कि मोहन राणा की कविता विचार से परहेज करती है - बल्कि वह यह जानती है कि कविता में विचार करने और कविता के विचार करने में क्या फर्क है। मोहन राणा के लिए काव्य रचना की प्रक्रिया अपने में एक स्वायत्त विचार प्रक्रिया भी है।

मोहन राणा का जन्म 1964 में दिल्ली में हुआ। पिछले डेढ़ दशक से ब्रिटेन के बाथ शहर के निवासी हैं।

आपके सात कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं:

'जगह' (1994), जयश्री प्रकाशन

'जैसे जनम कोई दरवाजा' (1997), सारांश प्रकाशन

'सुबह की डाक' (2002), वाणी प्रकाशन

'इस छोर पर' (2003), वाणी प्रकाशन

'पत्थर हो जाएगी नदी' (2007), सूर्यास्त्र

'धूप के अँधेरे में' (2008), सूर्यास्त्र

'रेत का पुल' (2012), अंतिका प्रकाशन


दो संग्रह अंग्रेजी में अनुवादों के साथ प्रकाशित हुए हैं:

'With Eyes Closed' (द्विभाषी संग्रह, अनुवादक - लूसी रोजेंश्ताइन) 2008

'Poems' (द्विभाषी संग्रह, अनुवादक - बनार्ड ओ डोनह्यू और लूसी रोज़ेंश्ताइन) 2011.

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