भाषा का निर्माण सेक्रेटरियट में नहीं होता, भाषा गढ़ी जाती है जनता की जिह्वा पर। - रामवृक्ष बेनीपुरी।
 

हमने किए जो वादे | ग़ज़ल (काव्य)

Author: रोहित कुमार 'हैप्पी'

हमने किए जो वादे उन्हें तोड़ते नहीं
कितनी भी मुश्किलें हों राहें छोड़ते नहीं।
 
टूटे दिलों को जोड़ना तो रब का काम है
बंदे हैं दिल किसी का हम तोड़ते नहीं।
 
ग़ैरों की आप छोड़िए अपने भी कम नहीं
मौका जिसे मिले वो उसे छोड़ते नहीं।
 
हमको बुज़ुर्गों ने सिखाये हैं क़ायदे
बेमेल रिश्ते हम कभी जोड़ते नहीं।
 
दिल से उन्हें बुलाओगे तो आएंगे जरूर
'रोहित' कहा वो आपका तो मोड़ते नहीं।

          - रोहित कुमार 'हैप्पी'

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