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हम मन में अपने विष कभी घोलते नहीं | ग़ज़ल (काव्य) |
Author: रोहित कुमार 'हैप्पी'
हम मन में अपने विष कभी घोलते नहीं
मन बात जो ना माने उसे बोलते नहीं।
अपनी नजर में कोई ना छोटा है ना बड़ा
दौलत से हम किसी को कभी तोलते नहीं।
जिस रास्ते बढ़ने लगे बढ़ते गए कदम
रस्ते सख्त को देख के हम डोलते नहीं।
जो आए दिल में आपके आप कीजिए
हम चुप रहेंगे अपनी जुबां खोलते नहीं।
- रोहित कुमार 'हैप्पी'