क्या संसार में कहीं का भी आप एक दृष्टांत उद्धृत कर सकते हैं जहाँ बालकों की शिक्षा विदेशी भाषाओं द्वारा होती हो। - डॉ. श्यामसुंदर दास।
 

आँख से सपने चुराने आ गए | ग़ज़ल (काव्य)

Author: रोहित कुमार 'हैप्पी'

आँख से सपने चुराने आ गए
वो हमें अपना बनाने आ गए

यूं क्या परेशां कम थी मेरी ज़िंदगी
उसपे हमको तुम सताने आ गए

मैं तो कुंदन हूँ उन्हें मालूम क्या
आग में मुझको तपाने आ गए

उनका कद हमसे कहीं मिलता नहीं
ले आईना हमको दिखाने आ गए

जो 'ग़ज़ल' रोहित कही थी आपने
अपनी कह हमको सुनाने आ गए

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

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