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हिंदी पत्रकारिता दिवस (विविध) |
Author: भारत-दर्शन समाचार
30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। हिन्दी का पहला समाचार पत्र 'उदंत मार्तंड' इसी दिन प्रकाशित हुआ था।
"उदन्त मार्तण्ड" दुनिया का पहला हिंदी समाचारपत्र "हिंदुस्थानियों के हित के हेत" ध्येय वाक्य के साथ, 30 मई 1826 को प्रकाशित हुआ था। इसके पहले अंक की 500 प्रतियाँ प्रकाशित हुईं थीं।
‘उदन्त मार्तण्ड' जो नागरी अक्षरों में मुद्रित होकर कलकत्ता से पहले पहल प्रकाशित हुआ था। यह प्रति मंगलवार को निकलता था, मासिक मूल्य २ रु. था और इसके सम्पादक थे--कानपुर निवासी पं. जुगलकिशोर शुक्ल।
'उदन्त मार्तण्ड' ही हिन्दी का सबसे पहला पत्र था, इस अन्वेषण का श्रेय 'माडर्न रिव्यू' के सहकारी सम्पादक श्री ब्रजेन्द्रनाथ बनर्जी को है। इससे पहले 'बनारस अखबार' को ही हिन्दी का पहला प्रकाशन माना जाता था। बाबू राधाकृष्णदास ने, 'हिन्दी के सामयिक पत्रों का इतिहास' नामक एक छोटी सी पुस्तक लिखी थी तथा श्री बालमुकुन्द गुप्त ने भी 'गुप्त निबन्धावली* में इस विषय पर प्रकाश डाला था। उक्त दोनों पुस्तकों को पढ़कर लोगों की यह धारणा बन गई थो कि हिन्दी का प्रथम समाचार पत्र 'बनारस अखबार' था जो सन् 1845 में राजा शिवप्रसाद की सहायता से काशी से प्रकाशित हुआ था। 'बनारस अखबार' का संपादन गोविन्द रघुनाथ थत्ते करते थे। आप महाराष्ट्र से थे।
ग्राहकों की कमी और सरकारी सहायता न मिलने के कारण इसके 79 अंक प्रकाशित हुए और डेढ़ वर्ष बाद 4 दिसम्बर सन् 1827 को इस पत्र का अंतिम अंक प्रकाशित हुआ जिसमें सम्पादक ने लिखा था--
आज दिवस लौं उग चुक्यो मार्तण्ड उद्दन्त।
अस्ताचल को जात है दिनकर दिन अब अन्त॥
बंगीय साहित्य परिषद् तथा राजा राधाकान्त देव के कलकत्ता स्थित पुस्तकालय में 'उदन्त मार्तण्ड' की कुछ प्रतियाँ आज भी सुरक्षित हैं।
सनद रहे कि बंगाल पत्रकारिता की आदिभूमि रही है और वहां के समाजसुधारक राजाराम मोहन राय भारतीय पत्रकारिता के आदिपुरुष। उन्होंने समाज सुधार में पत्रकारिता को सशक्त माध्यम बनाया और जनजागरूकता पैदा किया। कई पत्र-पत्रिकाओं को आरंभ करने का श्रेय राजाराम मोहन राय का ही है। इनमें सबसे प्रमुख था--1816 में प्रकाशित बंगाल गजट। 'बंगाल गजट' भारतीय भाषाओं में सबसे पहला समाचार पत्र माना जाता है। इसके संपादन का दायित्व गंगाधर भट्टाचार्य ने निभाया। हिन्दी का सबसे पहला पत्र 'उदन्त मार्तण्ड' भी कलकत्ता से ही निकलता था और उसके बाद भी अनेक हिन्दी पत्र-पत्रिकाएँ कलकत्ता से ही निकलती थी।
[भारत-दर्शन समाचार]