जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
 

भिखमंगे (कथा-कहानी)

Author: जसबीर चावला

भिखमंगा एक आलीशान महल के द्वार पर पहुंचा। अंदर एक और भिखमंगा था। पहले ने उसे देखकर हथेली फैलायी, दूसरे ने जवाब में झोली फैला दी।

-जसबीर चावला

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