बिना मातृभाषा की उन्नति के देश का गौरव कदापि वृद्धि को प्राप्त नहीं हो सकता। - गोविंद शास्त्री दुगवेकर।
 

बसा ले अपने मन में प्रीत | गीत (काव्य)

Author: हफीज़ जालंधरी 

बसा ले अपने मन में प्रीत। 
मन-मन्दिर में प्रीत बसा ले, 
ओ मूरख ओ भोले भाले, 
दिल की दुनिया कर ले रोशन, 
अपने घर में जोत जगा ले, 
प्रीत है तेरी रीत पुरानी, 
भूल गया ओ भारतवाले! 

भूल गया ओ भारतवाले, 
प्रीत है तेरी रीत। 
बसा ले अपने मन में प्रीत। 

क्रोध-कपट का उतरा डेरा, 
छाया चारों खूँट अँधेरा, 
शेख-बरहमन दोनों डाकू, 
एकसे बढ़कर एक लुटेरा। 
ज़ाहिरदारों की संगत में, 
कोई नहीं है संगी तेरा, 

कोई नहीं है संगी तेरा, 
मन है तेरा मीत, 
बसा ले अपने मन में प्रीत।

भारत माता है दुखियारी, 
दुखियारे हैं सब नरनारी, 
तुही उठा ले सुन्दर मुरली,
तू ही बन जा श्याम मुरारी । 
तू जागे तो दुनिया जागे, 
जाग उठें सब प्रेम पुजारी, 

जाग उठें सब प्रेम पुजारी, 
गाएँ तेरे गीत, 
बसा ले अपने मन में प्रीत। 

नफरत इक आज़ार है प्यारे, 
इसकी दारू प्यार है प्यारे, 
आ जा असली रूप में आ जा, 
तू ही प्रेम अवतार है प्यारे। 
यह हारा, तो सब कुछ हारा, 
मनके हारे हार है प्यारे, 

मनके हारे हार है प्यारे, 
मनके जीते जीत, 
बसा ले अपने मन में प्रीत।

-हफीज़ जालंधरी 


शब्दार्थ 
रुत - ऋतु, मौसम, Season. 
निखारे - स्वच्छ करे To cleanse, To brighten. 
ढा दे- गिरा दे, Te Demolish. 
चरका देना - धोका देना, मूर्ख बनाना, To fool. 
तराज़ू – तुला, Balance. 
अनमोल - जिसका कोई मोल न हो, Price-less, Beyond price. 
को-कौन, Who. 
खूँट – कोने, Corner. 
दारू - इलाज, दवा, Remedy.

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