हिंदुस्तान को छोड़कर दूसरे मध्य देशों में ऐसा कोई अन्य देश नहीं है, जहाँ कोई राष्ट्रभाषा नहीं हो। - सैयद अमीर अली मीर।
 

बड़ी तुम्हारी भूल (काव्य)

Author: श्रीधर पाठक

मित्र यह बड़ी तुम्हारी भूल
जो है सुख का मूल उसे तुम समझ रहे हो शूल

कोमल कल्प वृक्ष को मानो कंटक-वृक्ष बबूल
प्रेम-फूल के रस-पराग को गिनो द्वेष- विष-धूल
मित्र यह बड़ी तुम्हारी भूल

जो है अति प्रतिकूल उसी को जानो हो अनुकूल
जरा कष्ट से दब जाते हो, जरा हर्ष से फूल
मित्र यह बड़ी तुम्हारी भूल

-श्रीधर पाठक

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