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बारह हाइकु (काव्य) |
Author: मुकेश कुमार श्रीवास्तव
मुकेश कुमार श्रीवास्तव के हाइकु
(1)
काले काजल
नयनन में बसे
बने कटार
(2)
चूड़ी कंगन
पहन कर गोरी
किया श्रृंगार
(3)
घटती दूरी
मचलते जज्बात
बांहों के हार
(4)
पग पायल
हुआ मन घायल
सुन झंकार
(5)
नैन इशारे
कर कर तुमने
जताया प्यार
(6)
प्रेम बदले
अगर प्रेम मिले
बड़ा आभार
(7)
दोगे सम्मान
मिलेगा सम्मान ही
कहे संसार
(8)
सुंदर ज्ञान
दे गये भगवान
गीता का सार
(9)
दूषित मन
प्रदूषित आंगन
कर्म बेकार
(10)
राहें कठिन
हौसलें हैं बुलंद
मंजिल पास
(11)
मद में चूर
अभिमान बहुत
अपने दूर
(12)
करो पढाई
शरारत को छोड़
बनो महान
-मुकेश कुमार श्रीवास्तव
मोबाइल : 9953707412
ई-मेल: mukesh_77s@yahoo.co.in