मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
 

कविता का अर्थ (काव्य)

Author: मदन डागा

मेरी भाषा का व्याकरण
पाणिनि नही
पददलित ही जानते हैं
क्योंकि वे ही मेरे दर्द को--
पहचानते हैं :
मेरी कविता का कमल
बगीचे के जलाशयों में नही;
झुग्गी-झोंपड़ियों के कीचड़ में खिलेगा
मेरी कविता का अर्थ
उत्तर-पुस्तिकाओं में नहीं
फुटपाथों पर मिलेगा !

-मदन डागा

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