क्या संसार में कहीं का भी आप एक दृष्टांत उद्धृत कर सकते हैं जहाँ बालकों की शिक्षा विदेशी भाषाओं द्वारा होती हो। - डॉ. श्यामसुंदर दास।
 

क्यों निस दिन... | हिंदी ग़ज़ल (काव्य)

Author: अलताफ़ मशहदी

क्यों निस दिन आँख बरसती है,
नागिन सी मन को डसती है !

मन हौले हौले रोता है,
जब दुनिया मुझ पर हँसती है !

बसते हैं आँखों में आँसू,
मन आशाओं की बस्ती है !

जाँ देकर उनकी याद मिली,
इन दामों कितनी सस्ती है !

पी छिपकर बैठे हैं मन में,
दर्शन को आँख तरसती है !

दुनिया अलताफ़ जवानी है,
फुलवारी धन कर हँसती हैं !

-अलताफ़ मशहदी

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