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मदन डागा की दो कविताएँ (काव्य) |
Author: मदन डागा
कुर्सी
कुर्सी
पहले कुर्सी थी
फ़कत कुर्सी
फिर सीढ़ी बनी
और अब
हो गयी है पालना
जरा होश से सम्हालना!
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भूख से नहीं मरते
हमारे देश में
आधे से अधिक लोग
गरीबी की रेखा के नीचे
जीवन बसर करते है
लेकिन भूख से
कोई नही मरता
सभी मौत से मरते हैं
हमारे नेता भी
कैसा कमाल करते हैं!
-मदन डागा
[10 अक्तूबर 1933 - 29 अप्रैल 1985]