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माँ पर हाइकु (काव्य) |
Author: अभिषेक जैन
मैया का आया
वृद्धाश्रम से खत
कैसे हो बेटा
मना ले आये
नाराज समधी को
माँ के गहने
बड़े बंगले
हरे भरे गमले
मुरझाई माँ
गटक गई
बाबुल की शराब
मैया की दवा
थमा जो तूफां
बुहारने चली माँ
रिश्तों से धूल
पड़ी जो डाँट
मैं रोया झूठमूठ
माँ सचमुच
- अभिषेक जैन