यदि हम अंग्रेजी दूसरी भाषा के समान पढ़ें तो हमारे ज्ञान की अधिक वृद्धि हो सकती है। - जगन्नाथप्रसाद चतुर्वेदी।
 

बकरी  (काव्य)

Author: हलीम आईना

आदर्शों के 
मेमनों की
बलि

सारे-आम 
हो 
रही है,

तभी तो--
गाँधी जी की 
बकरी 

सुबक-सुबक कर 
रो
रही है। 

- हलीम आईना

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