मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
 

लक्ष्य | क्षणिका (काव्य)

Author: सौरभ सिंह

दुर्लभ है लक्ष्य अभेद्य नही
प्रबल है शत्रु अजेय नही
शस्त्रास्त्र से सम्पन्न है शत्रु
ब्रह्मास्त्र से युक्त नही

- सौरभ सिंह
ई-मेल: amarjeetsingh.8888@gmail.com

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