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ख़ुशहाली का रास्ता (कथा-कहानी) |
Author: भारत-दर्शन संकलन
एक बार हकीम लुक़मान से उसके बेटे ने पूछा, "अगर मालिक ने फरमाया कि कोई चीज मांग, तो मैं क्या मांगूं?"
लुक़मान ने कहा, "परमार्थ का धन।"
बेटे ने फिर पूछा, "अगर इसके अलावा दूसरी चीज मांगने को कहे तो?"
लुक़मान ने कहा, "पसीने की कमाई मांगना।"
उसने फिर पूछा, "तीसरी चीज?"
जवाब मिला, "उदारता।"
चौथी चीज क्या मांगू- "शरम।"
पांचवीं- "अच्छा स्वभाव।"
बेटे ने फिर पूछा, "और कुछ मांगने को कहे तो?"
लुक़मान ने उत्तर दिया, "बेटा, जिसको ये पांच चीजें मिल गईं उसके लिए और मांगने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा। ख़ुशहाली का यही रास्ता है और तुझे भी इसी रास्ते से जाना चाहिए।"
[A moral story]
[भारत-दर्शन संकलन]