क्या संसार में कहीं का भी आप एक दृष्टांत उद्धृत कर सकते हैं जहाँ बालकों की शिक्षा विदेशी भाषाओं द्वारा होती हो। - डॉ. श्यामसुंदर दास।
 

ख़ुदा पर है यक़ीं जिसको | ग़ज़ल (काव्य)

Author: निज़ाम फतेहपुरी

ख़ुदा पर है यक़ीं जिसको कभी दुख मे नहीं रोता
वही बढ़ता है आगे जो जवानी भर नहीं सोता

नहाए कितना भी गीदड़ वो गीदड़ ही रहेगा बस
चमक रहती है जब की शेर अपना मुँह नहीं धोता

सफ़ेदी पर न जा मेरी अभी ताकत पुरानी है
बुढ़ापे में किसी का दिल कभी बूढ़ा नहीं होता

पड़ी हो आग पर गर राख तो बस दूर ही रहना
कि अंगारा कभी अपनी तपिश जल्दी नहीं खोता

"निज़ाम" ऐसा करो कुछ काम दुनिया नाम ले तेरा
वही शायर है अच्छा जो कभी नफ़रत नहीं बोता

निज़ाम फतेहपुरी
ग्राम व पोस्ट मदोकीपुर
ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
6394332921
9198120525

ई-मेल: babukhan3716@gmail.com

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश