जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
 

कोरोना हाइकु  (काव्य)

Author: सत्या शर्मा 'कीर्ति'

कोरोना मार
अन्तर्भेदी चीत्कार
सभी लाचार


बंद घरों में
वायरस डर से
जन जीवन


हैरां इंसान
सूक्ष्म सा वायरस
नाच नचाये।।


मासूम जीव
करतें अंतर्नाद
हत्या करो ना


धरो हिम्मत
खत्म होगा कोरोना
तुम डरो ना


सूक्ष्म कोरोना
सिखाये दुनिया को
हिन्दू संस्कृति


हमारे पाप
बनके वायरस
हमें डराए


लाचार हुआ
मेडिकल साइंस
मिले न दवा


कोरोना मार
मचा हाहाकार
सुनो चीत्कार


सुनो, ना प्रभु
करुण ये पुकार
सब लाचार


मौत का टीका
कोरोना वायरस
हमें लगाए


सत्या शर्मा 'कीर्ति'
रांची - झारखण्ड
भारत
ई-मेल : satyaranchi732@gmail.com

 

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