जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
 

थोड़ा इंतजार (काव्य)

Author: राहुल सूर्यवंशी

नियमों से नहीं, तो निवेदन से रुक
डंडे से नहीं, तो ठंडे से रुक
महामारी की है भरमार, तू कर थोड़ा इंतजार।

मालूम है मुझको, अब रहा ना जा रहा, चार दीवारी में
अप-डाउन भरी जिंदगी हुई लॉक-डाउन, इस बीमारी में
लगा है अफवाहों का अंबार, बस कर ले थोड़ा इंतजार।

देख ये पुलिस, ये डॉक्टर, ये नर्सें
भूलकर अपना परिवार
करें देश पर जां निसार, तू कर ना थोड़ा इंतजार।

घर बैठे, करो कोरोना पर प्रहार
लौटेगी खुशियों की बहार, फिर एक बार.....
बस थोड़ा इंतजार।

-राहुल सूर्यवंशी, भारत
ई-मेल: rs43013@gmail.com

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