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तुम्हारे लिये | कुछ मुक्तक (काव्य) |
Author: अनूप भार्गव
प्रणय की प्रेरणा तुम हो
विरह की वेदना तुम हो
निगाहों में तुम्ही तुम हो
समय की चेतना तुम हो।
तृप्ति का अहसास तुम हो
बिन बुझी सी प्यास तुम हो
मौत से अब डर नहीं है
ज़िन्दगी की आस तुम हो।
सपनों का अध्याय तुम्ही हो
फ़ूलों का पर्याय तुम्ही हो
एक पंक्ति में अगर कहूँ तो
जीवन का अभिप्राय तुम्ही हो।
सुख दुख की हर आशा तुम हो
चुम्बन की अभिलाशा तुम हो
मौत के आगे जाने क्या हो
जीवन की परिभाषा तुम हो।
ज़िन्दगी को अर्थ दे दो
इक नया सन्दर्भ दे दो
दूर कब तक यूँ रहोगी
नेह का सम्पर्क दे दो।
-अनूप भार्गव
अमरीका