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आशा का गीत (काव्य) |
Author: गोरख पांडे
आएँगे, अच्छे दिन आएँगे
गर्दिश के दिन ये कट जाएँगे
सूरज झोपड़ियों में चमकेगा
बच्चे सब दूध में नहाएँगे
जालिम के पुर्जे उड़ जाएँगे
मिल-जुल के प्यार सभी गाएँगे
मेहनत के फूल उगाने वाले
दुनिया के मालिक बन जाएँगे
दुख की रेखाएँ मिट जाएँगी
खुशियों के होंठ मुस्कुराएँगे
सपनों की सतरंगी डोरी पर
मुक्ति के फरहरे लहराएँगे
-गोरख पांडे