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घर जला भाई का (काव्य) |
Author: खुरशीद
कौम के वास्ते कुछ करके दिखाया न गया
कौम का दर्द कभी उनसे मिटाया न गया ।
चुगलियाँ लोगों की हुक्काम* से जाकर खाई
आईना कौम की हालत का दिखाया न गया ।
शग्ले-मैनोशी* में गो लाखों करोड़ों खोए
कौम के सदके में पर कुछ भी दिलाया न गया ।
क्या यही दर्द है ‘खुरशीद' हमारे दिल में
घर जला भाई का और उठके बुझाया न गया ।
--खुरशीद
हुक्काम = शासक
शग्ले-मैनोशी = मदिरा पान