हिंदुस्तान को छोड़कर दूसरे मध्य देशों में ऐसा कोई अन्य देश नहीं है, जहाँ कोई राष्ट्रभाषा नहीं हो। - सैयद अमीर अली मीर।
 

माँ! तुम्हारी याद  (काव्य)

Author: कोमल मेहंदीरत्ता

अचानक पीछे से जाकर
माँ! तुम्हें गले से लगाकर
अपनी बाँहों में समेटकर
तुम्हें चौंकाकर मिलने का
वह सुखद अहसास
आज भी याद है!

वह छोटी-सी कृशकाया
जब-जब मुझसे मिलती, कहती
बेटी! जल्दी-जल्दी आया करो
मेरा न जाने क्या भरोसा
कब तक रहूँ !

आज यह सब कुछ बहुत याद आता है
जब तुम्हें कहीं नहीं खोज पाती हूँ
तुम्हारे हाथों की थाप
तुम्हारी गोद में रखे अपने सिर पर
आज भी महसूस कर जाती हूँ
और माँ !

तुम्हारी याद से कभी नहीं उबर पाना चाहती हूँ
तुम्हारे पीछे से आकर
तुम्हें फिर से चौंकाकर
एक बार फिर
अपने गले से लगाना चाहती हूँ।

--कोमल मेहंदीरत्ता
ई-मेल: komal.mendiratta@nd.balbharati.org

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश