भाषा का निर्माण सेक्रेटरियट में नहीं होता, भाषा गढ़ी जाती है जनता की जिह्वा पर। - रामवृक्ष बेनीपुरी।
 

टूटा हुआ दिल... (काव्य)

Author: राहत इन्दौरी

टूटा हुआ दिल तेरे हवाले मेरे अल्लाह
इस घर को तबाही से बचा ले मेरे अल्लाह

दुनिया के रिवाजों को भी तोड़ दूं लेकिन
इक शख़्स मुझे अपना बना ले मेरे अल्लाह

वो साथ वो दिन रात वो नगमात वो लम्हे
लौटा दे मुझे मेरे उजाले मेरे अल्लाह

मैं जिसके लिए सारे ज़माने से खफा हो
वो ख़ुद ही मुझे आके मना ले मेरे अल्लाह

मैं किसको सदा दू जो मेरे ख़्वाब में आकर
कांटे मेरी पलकों से निकले मेरे अल्लाह

- राहत इन्दौरी

 

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