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इस दुनिया के रंग निराले (काव्य) |
Author: रोहित कुमार हैप्पी
इस दुनिया के रंग निराले
मुँह के मीठे दिल के काले।
यूं तो हरदम हाथ मिलावें
पीठ पे मारें छुरी-भाले।
पत्थर हीरा, हीरा पत्थर
तेरी आँखों में हैं जाले।
जब भी हाथ मिलाए जालिम
हाथों में पड़ ज़ाए छाले।
करना पडता है कुरूक्षेत्र
युद्ध नहीं जब टलता टाले।
- रोहित कुमार 'हैप्पी'