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दस हाइकु (काव्य) |
Author: अशोक कुमार ढोरिया
नेक इरादे
चुनौतियां अपार
हार न माने
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कैसा ये फर्ज़
देकर मृत्युभोज
चुकाता कर्ज़
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टूटती नहीं
वहम की दीवार
मैले मन की
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होनी चाहिए
सहयोग की भावना
हर दिल में
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टूट जाते हैं
गलतफहमी में
गहरे रिश्ते
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हारी जिंदगी
बिगड़े माहौल में
दरिंदगी से
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बने आफत
बढ़ती जनसंख्या
बड़ी बीमारी
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ऊँचा होता है
कामयाबी का पुल
मेहनत से
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कौन छोड़ता
साथ भ्रष्टाचार का
जेब भरके
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आते सपने
जागृत अवस्था में
होते हैं सच्चे
- अशोक कुमार ढोरिया
ई-मेल: neelam11052014@gmail.com