जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
 

नए किस्से  (काव्य)

Author: अनन्य दूबे

हर चेहरे को गौर से देखो
छुपी हैं अनसुनी कहानियां
हंस के रोना रो के हंसना
जीवन की कुछ निशानियां

हर दिन इक नयी मंज़िल
इक तमन्ना दिल में है
हर दिन करना है कुछ हासिल
यह निश्चय मन में है

हर दिल में झांक कर देखो
मौजूद हैं अनदेखे पन्ने
इक बार शब्दों को पढ़ कर तो देखो
तभी तो तुम लिखोगे कुछ नए किस्से

- अनन्य दूबे
ananya.dubey194@gmail.com

 

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