प्यार मुझसे है तो जलना सीख ले! प्यार मुझसे है तो मरना सीख ले । मैं तुम्हे दूंगा हमेशा मुश्किलें तू उन्हें आसान करना सीख ले ।
फूल मैं अपने निकट रखता नहीं ताज मेरे शीश पर है शूल का छत्र नभ है औ' दिशायें वस्त्र है बिस्तरा रखता हमेशा धूल का रोटियां शायद मिले या ना मिलें ठोकरो से पेट भरना सीख ले । प्यार मुझने है तो जलना सीख ले ।
कण्ठ में मेरे सुरीला स्वर नहीं लोचनों में एक रूखा प्यार है दिल मे शायद ठौर तुम भी पा सको क्योकि इस पर विश्व का अधिकार है चाह है अधिकार की यदि कुछ तुम्हें मुझसे तू व्यवहार करना सीख ले । प्यार मुझमे है तो जलना सीख ले ।
भेंट मे दूंगा तुम्हें कुछ दर्द ही धन यही तो एक मेरे पास है । दर्द जिसमें है नहीं वह नर नहीं एक चलती और फिरती लाश है दर्द जिसमें है नहीं वह प्यार क्या ? दर्द पीकर मुस्कराना सीख ले । प्यार मुझसे है तो जलना सीख ले ।
- बल्लभेश दिवाकर
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