जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।
हम भारत की बेटी हैं (काव्य)  Click to print this content  
Author:अज्ञात

हम भारत की बेटी हैं, अब उठा चुकीं तलवार
हम मरने से नहीं डरतीं, नहीं पीछे पाँव को धरतीं
आगे ही आगे बढ़तीं, कस कमर हुईं तैयार
हम भारत की बेटी...

हम नए नहीं हैं लड़ाके, देखो इतिहास उठा के
हम छत्राणी भारत की, दिखला देंगी निज वारहम भारत की बेटी...

जब कर कृपाण उठातीं, फिर काल रूप बन जातीं
सदियों से प्‍यास बुझातीं थर्रा देतीं संसार
हम भारत की बेटी...
जब तक बाँहों में बल है, धमनियों में रक्‍त प्रबल है
दिल में नहीं पल भर कल है, बिना किए देश उद्धार
हम भारत की बेटी...

[यह गीत आज़ाद हिंद फौज की महिला इकाई 'झाँसी रानी रेजिमेंट' के लिए लिखा गया था]

 

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