जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।
आजा़द हिन्‍द सेना ने जब (काव्य)  Click to print this content  
Author:कप्तान रामसिंह ठाकुर

आजा़द हिन्‍द सेना ने जब
नेता जी का पैगाम लिया
जय हिन्‍द का नारा गूँज उठा
हाथों में तिरंगा थाम लिया।

भूखे भी लड़े प्‍यासे भी लड़े
और मौत से फिर भी हम न डरे
आगे ही आगे बढ़ते रहे
हटने का न पीछे नाम लिया
जय हिन्‍द का नारा...

हिन्‍दी आजादी जान गए
भाई को भाई पहचान गए
वतन की खातिर मरने को
जब हमने खुदा का नाम लिया
जय हिन्‍द का नारा...

वह लाख हमारे दुश्‍मन हैं
पर इसकी हमें परवाह नहीं
नेताजी के सहारे से
आजादी का दामन थाम
नेता जी के मयखाने से
आजा़दी का हमने जाम लिया
जय हिन्‍द का नारा...

- रामसिंह ठाकुर

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