क़दम-क़दम बढ़ाये जा खुशी के गीत गाये जा यह ज़िन्दगी है कौम की तू कौम पर लुटाये जा बढ़ाये जा, क़दम-क़दम बढ़ाये जा।
तू शेर-ए-हिंद आगे बढ़ मरने से कभी न डर उड़ाके दुश्मनों के सर जोश-ए-वतन बढ़ाये जा क़दम-क़दम बढ़ाये जा खुशी के गीत गाये जा यह ज़िन्दगी है कौम की तू कौम पर लुटाये जा बढ़ाये जा, क़दम-क़दम बढ़ाये जा।
हिम्मत तेरी बढ़ी रहे ख़ुदा तेरी सुनता रहे जो सामने तेरे अड़े वो ख़ाक मे मिटाये जा क़दम-क़दम बढ़ाये जा खुशी के गीत गाये जा ये ज़िन्दगी है कौम की तू कौम पर लुटाये जा बढ़ाये जा, क़दम-क़दम बढ़ाये जा।
चलो दिल्ली पुकारके कौमी निशां सम्भाल के लाल कीले पे गाढ़ के लहराये जा लहराये जा क़दम-क़दम बढ़ाये जा खुशी के गीत गाये जा ये ज़िन्दगी है कौम की तू कौम पर लुटाये जा बढ़ाये जा, क़दम-क़दम बढ़ाये जा।
-वंशीधर शुक्ल
शुक्लजी का गीत, 'क़दम-क़दम बढाये जा खुशी के गीत गाये जा, ये जिंदगी है कौम की तू कौम पर लुटाए जा' नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को इतना पसंद आया कि इसे 'आज़ाद-हिंद फौज' में मार्च गीत के रूप में गाया गया। |