"अरे, राजू! घर जा रहे हो?" राजू को जाता देख राव साहब ने उसे पुकारा।
"हाँ, साब! 6 बजने को हैं। कोई काम था?" राजू सुबह 8 से शाम 6 बजे तक उनके यहाँ काम करता था परंतु 6 से सात बज जाना कोई नई बात नहीं थी।
"हाँ, जरा मेरे कपड़े लेते जाओ। इस्त्री करवाकर सुबह लेते आना।" और साहब ने उसे कुछ कपड़े थमा दिए।
"ठीक है, साब!" कहकर राजू ने सलाम बजा दिया।
"अरे...तुम तो आठ बजे आओगे ना? मुझे तो आठ बजे यहाँ से जाना है!"
"कोई बात नहीं साब! मैं सात बजे दे जाऊंगा।"
"बहुत अच्छा।"
अगली सुबह राव साहब नहा-धोकर निकले तो राजू कपड़े ले कर आ चुका था।
"अरे, आ गए तुम, राजू!"
"जी, साब!"
वैसे तो राजू आठ बजे काम आरंभ करता है पर अब सात बजे पहुंच गया तो घर थोड़े न वापिस जाएगा।
"अरे, राजू...जरा मेरी कार साफ कर दे मुझे जल्दी निकलना है।"
"ठीक है, साब।" राजू कार साफ करने का सामान लेकर बाहर चल दिया।
राव साहब को आज 'श्रमिक दिवस' समारोह में भाषण देना था, शायद इसी लिए घर के नौकर को आज 'थोड़ा अधिक श्रम' करना पड़ रहा था। क्या उसे इस श्रम का ओवर टाइम मिलेगा?
-रोहित कुमार 'हैप्पी' न्यूज़ीलैंड |