बाबा आज देल छे आए, चिज्जी पिज्जी कुछ ना लाए। बाबा क्यों नहीं चिज्जी लाए, इतनी देली छे क्यों आए। कां है मेला बला खिलौना, कलाकंद, लड्डू का दोना। चूं चूं गाने वाली चिलिया, चीं चीं करने वाली गुलिया। चावल खाने वाली चुहिया, चुनिया-मुनिया, मुन्ना भइया। मेला मुन्ना, मेली गैया, कां मेले मुन्ना की मैया। बाबा तुम औ कां से आए, आं आं चिज्जी क्यों ना लाए।
- श्रीधर पाठक
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